भारतीय सशस्त्र बल की प्रथम लेफ्टिनेंट जनरल एवं भारतीय नौसेना की प्रथम वाइस एडमिरल पुनीता अरोड़ा ने 1963 में सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय (ए.एफ.एम.सी.) पुणे में ज्वाइन किया था।
उन्होंने अपने बैच में शीर्ष स्थान प्राप्त किया। 2004 में वह ए.एफ.एम.सी. की कमांडेंट बनने वाली प्रथम महिला अधिकारी थीं। 1992 में भारतीय सेना ने महिलाओं को सेवाओं में स्वीकार करना प्रारंभ किया था।
चेन्नै में अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (ओ.टी.ए।) में जाने वाली प्रथम 25 प्रथम कैडटों में से एक प्रिया झिंगन ने हंसते हुए कहा, ‘‘हमारे कमांडिंग ऑफिसर ने, जब हमारे ट्रंक और अनुरोधों की सूची - गर्म पानी, ट्यूब लाइट एवं एक सैलून देखा तो उन्होंने जमीन पर अपना पैर ही पटक दिया,’’ सपेर शांति टिग्गा ने 2011 में भारतीय सेना की प्रथम महिला जवान बन कर एक अन्य परम्परा को तोड़ा।
उस समय वह 25 वर्ष की आयु की थीं और उनके दो बच्चे थे,
उन्होंने अपने बैच में शीर्ष स्थान प्राप्त किया। 2004 में वह ए.एफ.एम.सी. की कमांडेंट बनने वाली प्रथम महिला अधिकारी थीं। 1992 में भारतीय सेना ने महिलाओं को सेवाओं में स्वीकार करना प्रारंभ किया था।
चेन्नै में अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (ओ.टी.ए।) में जाने वाली प्रथम 25 प्रथम कैडटों में से एक प्रिया झिंगन ने हंसते हुए कहा, ‘‘हमारे कमांडिंग ऑफिसर ने, जब हमारे ट्रंक और अनुरोधों की सूची - गर्म पानी, ट्यूब लाइट एवं एक सैलून देखा तो उन्होंने जमीन पर अपना पैर ही पटक दिया,’’ सपेर शांति टिग्गा ने 2011 में भारतीय सेना की प्रथम महिला जवान बन कर एक अन्य परम्परा को तोड़ा।
उस समय वह 25 वर्ष की आयु की थीं और उनके दो बच्चे थे,
COURTESY ROJGAR SAMACHAR
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